नई दिल्ली: शुक्रवार को म्यांमार में 7.7 तीव्रता का भीषण भूकंप आया जिसने बड़े पैमाने पर तबाही मचाई। इस भूकंप का केंद्र सैगाइंग शहर के पास था और इसका असर 900 किमी दूर बैंकॉक तक महसूस किया गया। म्यांमार की फौजी सरकार के अनुसार, अब तक 144 लोगों की मौत और 732 के घायल होने की पुष्टि हुई है, हालांकि असल आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है।
थाईलैंड के बैंकॉक में एक निर्माणाधीन 30 मंज़िला इमारत ढह गई, जिसमें तीन लोगों की मौत हुई और 80 से अधिक घायल हुए। थाईलैंड और म्यांमार दोनों में इमरजेंसी घोषित कर दी गई है। राहत और बचाव कार्य जारी हैं।
भारत ने इस आपदा पर चिंता जताते हुए म्यांमार और थाईलैंड को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। प्रधानमंत्री मोदी BIMSTEC बैठक से पहले ही दोनों देशों के साथ संपर्क में हैं।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक डॉ. विनीत गहलोत का कहना है कि म्यांमार का सैगाइंग इलाका भी उतना ही संवेदनशील है जितना हिमालय। उन्होंने चेताया कि गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में 500-700 वर्षों से बड़ा भूकंप नहीं आया है, जिससे वहां भूकंप का खतरा और बढ़ गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद जैसे क्षेत्रों पर हिमालयी भूकंप का गहरा असर पड़ सकता है। भूकंपों की तीव्रता में मात्र 1 अंक का अंतर 32 गुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न करता है।
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