नई दिल्ली: वक्फ संशोधन विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया है और अब सिर्फ राष्ट्रपति की मंजूरी बाकी है, जिसके बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा। हालांकि इसके विरोध में देशभर के कई शहरों—जैसे कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद—में ज़ोरदार प्रदर्शन हो रहे हैं। मुस्लिम संगठन और विपक्षी दल इस विधेयक को लेकर शुरू से ही विरोध में हैं और अब उनकी कोशिश है कि इसे कानून बनने से किसी भी तरह रोका जा सके।
अब जब बिल संसद से पास हो चुका है, विपक्ष और संगठनों के पास तीन अहम रास्ते बचे हैं:
- न्यायपालिका का सहारा:
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने इस बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। उनका तर्क है कि यह विधेयक संविधान और नागरिक अधिकारों के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है। - सड़क पर आंदोलन:
विरोध प्रदर्शन अब ज़मीन पर तेज हो चुके हैं। कई शहरों में लोग सड़कों पर उतरे, नारेबाजी की और नेताओं के पुतले फूंके। अब सवाल है—क्या इस जनदबाव से सरकार झुक सकती है? - राजनीतिक दबाव:
विपक्ष का अगला दांव नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू पर है। माना जा रहा है कि जेडीयू के मुस्लिम नेताओं की नाराज़गी पार्टी में दरार ला सकती है, जिससे विपक्ष को फायदा मिल सकता है। हालांकि नीतीश कुमार पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि उनकी पार्टी NDA के साथ खड़ी है।
क्या यह विरोध असर डालेगा?
पूर्व के मामलों जैसे कि राम मंदिर और धारा 370 पर याचिकाओं की नाकामी को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका कितनी प्रभावी होगी। लेकिन विपक्ष पूरी कोशिश में है कि कानूनी और जनदबाव के जरिए इस बिल को रोका जा सके।
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