बाबा रामदेव के बयान पहले भी कई बार विवादों में रहे हैं। मई 2021 में उन्होंने एलोपैथी को “बेवकूफ़ विज्ञान” बताया था, जिसपर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कड़ी आपत्ति जताई थी।
2020 में कोरोना काल के दौरान पतंजलि ने कोरोनिल दवा लॉन्च की, जिसे कोविड की दवा बताया गया, लेकिन बाद में सरकार ने इसे रोका।
साल 2006 में वृंदा करात ने रामदेव पर दवाओं में हड्डियों के इस्तेमाल का आरोप लगाया था, वहीं 2012 में रामदेव पर काले धन और भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।
2018 में उनके पुराने साथी कर्मवीर ने पतंजलि घी की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे। इन सभी विवादों के बावजूद रामदेव और पतंजलि ने बाज़ार में अपनी मज़बूत पकड़ बनाई है।
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