इस्लामाबाद: पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हाल ही में हुए ट्रेन हाइजैक की घटना के बाद हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं। इस घटना के बाद पाकिस्तानी सेना कई कथित विद्रोहियों के शव लेकर क्वेटा के एक सिविल हॉस्पिटल पहुंची थी। शवों की पहचान के लिए उनके बलूची रिश्तेदारों ने अनुमति मांगी, लेकिन प्रशासन ने इजाजत नहीं दी। इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। स्थिति तब बेकाबू हो गई जब पुलिस के लाठीचार्ज के बावजूद प्रदर्शनकारी अस्पताल के मुर्दाघर में घुस गए और जबरन कई शव लेकर चले गए।
क्या है पूरा मामला?
पाकिस्तानी अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट नहीं है कि प्रदर्शनकारियों ने शवों की पहचान अपने लापता परिजनों के रूप में की थी या नहीं। हॉस्पिटल प्रशासन के मुताबिक, बलूच यकजेहती समिति (BYC) से जुड़े प्रदर्शनकारियों ने जबरन मुर्दाघर में घुसकर कम से कम पांच शव उठाकर ले गए। प्रशासन का दावा है कि ये वही शव थे जिन्हें जाफर एक्सप्रेस पर हमले के बाद पाकिस्तानी सेना के जवाबी हमले में मारे गए विद्रोहियों के रूप में हॉस्पिटल लाया गया था।
पुलिस ने किया लाठीचार्ज, महिलाएं घायल
प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें दो महिलाएं घायल हो गईं। पुलिस ने कई प्रदर्शनकारियों, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, को गिरफ्तार किया। हालांकि, भीड़ बढ़ने के कारण पुलिस बेबस नजर आई, और प्रदर्शनकारी हॉस्पिटल तक पहुंचने में सफल रहे।
बाद में पुलिस ने क्वेटा के विभिन्न इलाकों में छापेमारी की और तीन शव बरामद किए, लेकिन कई शव अब भी प्रदर्शनकारियों के कब्जे में हैं। इस घटना ने बलूचिस्तान में चल रहे अशांति और सरकार के खिलाफ गुस्से को और बढ़ा दिया है।
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