Pehalgam Attack – जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर आतंकवाद ने मासूमों की जिंदगी को निशाना बनाया है। हमले में मारे गए लोगों के परिवारों के आंसू अभी सूखे भी नहीं थे कि एक नई बहस शुरू हो गई—क्या इस सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी कोई लेगा?
Highlights:
- जम्मू-कश्मीर पिछले 7 वर्षों से केंद्र शासित प्रदेश है।
- सुरक्षा व्यवस्था गृह मंत्रालय के अधीन है।
- हालिया आतंकी हमले में कई निर्दोषों की जान गई।
- गृहमंत्री की जवाबदेही पर देशभर में बहस।
- विपक्ष ने इस्तीफे की संभावना पर सवाल उठाए।

चूंकि जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश है, इसलिए वहां की सुरक्षा और प्रशासन की जिम्मेदारी सीधे गृह मंत्रालय की है। बीते सात वर्षों से यह जिम्मेदारी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के अधीन है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या गृह मंत्री इस घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेंगे?
“अगर यही हमला किसी और सरकार के कार्यकाल में हुआ होता, तो विपक्ष गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग से संसद से सड़क तक हंगामा कर रहा होता।”
“ऐसे मामलों में अक्सर इस्तीफा नैतिक जवाबदेही का प्रतीक माना जाता है।”
विपक्षी दल और कई राजनीतिक विश्लेषक कह रहे हैं कि अगर इस तरह की घटना किसी अन्य सरकार के समय घटती, तो अब तक गृहमंत्री पर इस्तीफे का दबाव बन चुका होता। यह भी कहा जा रहा है कि शायद तब इस्तीफा भी दे दिया गया होता।
अब सवाल यह है कि क्या अमित शाह इस्तीफे पर विचार करेंगे? या फिर यह केवल औपचारिक संवेदनाएं जताने तक ही सीमित रहेगा?
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