अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार, 9 अप्रैल को भारत सहित 75 देशों पर लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ को अगले 90 दिनों तक स्थगित करने का फैसला किया है। इस निर्णय के तहत इन देशों को केवल 10% का बेसिक टैरिफ देना होगा। हालांकि, चीन की आक्रामक प्रतिक्रिया का जवाब ट्रंप ने और ज्यादा आक्रामक तरीके से दिया — चीन पर टैरिफ को बढ़ाकर 125% कर दिया गया है।
यह कदम ऐसे समय में आया है जब अमेरिका खुद टैरिफ नीति के दबाव में आ गया है। टैरिफ स्थगन की घोषणा के बाद अमेरिकी स्टॉक मार्केट में 10% की उछाल देखी गई — जो यह संकेत देती है कि ट्रंप की नीति देश के आंतरिक आर्थिक हालात को प्रभावित कर रही थी।
ट्रंप ने पत्रकारों से कहा, “कुछ देश लाइन से बाहर जा रहे थे, वे चिड़चिड़े हो रहे थे।” यह बयान तब आया जब उनसे पूछा गया कि 75 देशों को राहत क्यों दी गई। उन्होंने यह भी साफ किया कि टैरिफ खत्म नहीं किए गए हैं, बल्कि सिर्फ 90 दिन की मोहलत दी गई है ताकि व्यापारिक समझौतों पर बातचीत की जा सके।
भारत जैसे देशों ने अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की थी, और विशेषज्ञ मानते हैं कि इसी संयम का फायदा अब मिल रहा है। भारत ने शुरू से ही अमेरिका से शांतिपूर्ण बातचीत की रणनीति अपनाई थी।
दूसरी तरफ, चीन और यूरोपीय यूनियन जैसे देशों ने टैरिफ का जवाब टैरिफ से देने की नीति अपनाई। ईयू ने पहले ही 25% का जवाबी टैरिफ 21 अरब यूरो के अमेरिकी उत्पादों पर लगा दिया है। वहीं चीन ने अमेरिकी आयात पर टैरिफ को 34% से बढ़ाकर 84% किया, जिसके जवाब में अमेरिका ने उसे 125% तक बढ़ा दिया।
चीन के वाणिज्य मंत्री ने इसे “अंतरराष्ट्रीय व्यापार सिद्धांतों का उल्लंघन” बताया और चेतावनी दी कि “चीन चुप नहीं बैठेगा।” एनोडो इकोनॉमिक्स की चीफ इकनॉमिस्ट डायना चॉयलेवा के अनुसार, “शी जिनपिंग के लिए ट्रंप की धमकी का एक ही जवाब है — हम तैयार हैं।”
यह टैरिफ ड्रामा केवल व्यापार का मामला नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन और राजनीतिक माइंडगेम का हिस्सा बन चुका है। अगले 90 दिन यह तय करेंगे कि कौन झुकेगा और कौन मजबूती से खड़ा रहेगा।
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