शिमला, हिमाचल प्रदेश – पेंशनरों के हितों के लिए काम करने वाली पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन इन दिनों भीतरी विवादों से जूझ रही है। संगठन अब दो गुटों में बंट चुका है, जिससे इसकी कार्यप्रणाली और विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं।
हाल ही में शिमला जिला इकाई के पदाधिकारियों ने पूर्व अध्यक्ष के खिलाफ तीखा रुख अपनाते हुए उन पर मनमानी, पारदर्शिता की कमी और सदस्यों की समस्याओं की अनदेखी के आरोप लगाए हैं। आरोपों के अनुसार, पूर्व अध्यक्ष ने निर्णय लेने में संगठन के अन्य सदस्यों को शामिल नहीं किया और संस्था को व्यक्तिगत हितों के लिए उपयोग किया।
एक बैठक के दौरान नाराज पदाधिकारियों और सदस्यों ने संगठन के मौजूदा हालात पर चिंता जताई और सुधार की मांग की। इसके बाद एक धड़े ने पूर्व अध्यक्ष से नाता तोड़ते हुए अलग इकाई के रूप में काम करने की घोषणा कर दी।
मीडिया से बातचीत में असंतुष्ट गुट के एक प्रतिनिधि ने कहा, “हम चाहते हैं कि संस्था अपने मूल उद्देश्य—पेंशनरों के अधिकारों और कल्याण के लिए—काम करे, न कि किसी व्यक्ति विशेष के हितों के लिए।”
पूर्व अध्यक्ष ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें बेबुनियाद और राजनीतिक साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह सब उनकी छवि खराब करने की कोशिश है।
फिलहाल, संगठन में जारी इस फूट से निचले स्तर पर कामकाज प्रभावित हो रहा है। वरिष्ठ सदस्यों और मध्यस्थों द्वारा दोनों गुटों को एक मंच पर लाने की कोशिशें की जा रही हैं, ताकि संगठन की एकता और उद्देश्य की पूर्ति को बनाए रखा जा सके।
पेंशनर समुदाय अब उम्मीद कर रहा है कि जल्द ही कोई सकारात्मक समाधान निकलेगा और संगठन दोबारा एकजुट होकर अपने लक्ष्यों की दिशा में आगे बढ़ेगा।
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