हिमाचल प्रदेश के टांडा मेडिकल कॉलेज में रैगिंग और मारपीट का मामला सामने आया है, जिससे संस्थान के अनुशासन पर सवाल खड़े हो गए हैं। होली के दिन 2019 बैच के सीनियर एमबीबीएस प्रशिक्षु ने 2022 बैच के जूनियर छात्र पर हमला किया। इस घटना के बाद कॉलेज प्रशासन ने आरोपी प्रशिक्षु को डेढ़ साल (1.5 वर्ष) के लिए निलंबित कर दिया और 1.5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
कॉलेज प्रशासन की सख्त कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए कॉलेज प्रशासन ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। इसके बाद एंटी-रैगिंग कमेटी ने जांच की और कठोर फैसला सुनाया।
कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मिलाप शर्मा ने कहा कि,
“रैगिंग जैसी घटनाओं को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। संस्थान में अनुशासन बनाए रखने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे।”
अमन काचरू केस की यादें ताजा
यह घटना 2008 में हुए अमन काचरू रैगिंग केस की याद दिलाती है, जिसने देशभर में मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग के खिलाफ सख्त कानून लागू करने की नींव रखी थी। टांडा मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने तब से रैगिंग के मामलों पर कठोर कार्रवाई शुरू की और अब भी इस नीति पर कायम है।
क्या था पूरा मामला?
पीड़ित छात्र ने आरोप लगाया कि सीनियर प्रशिक्षु ने तेजधार वस्तु से हमला किया। जब पुलिस में शिकायत दर्ज हुई, तो दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए। हालांकि, बाद में पुलिस चौकी टांडा में दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया।
पुलिस की पुष्टि
कांगड़ा के डीएसपी अंकित शर्मा ने घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि पुलिस ने आवश्यक कानूनी कार्रवाई की है। कॉलेज प्रशासन ने पीड़ित छात्र की पहचान गोपनीय रखते हुए उसे सुरक्षा का आश्वासन दिया है।
रैगिंग पर सख्त कानून के बावजूद घटनाएं क्यों जारी?
रैगिंग को रोकने के लिए सख्त कानून और कॉलेज प्रशासन की कड़ी निगरानी के बावजूद मेडिकल कॉलेजों में इस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि संस्थानों को और कठोर नियम लागू करने होंगे, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो